
हमें वो गुज़रा ज़माना भली-भांति याद है जब अपने शहर में शिक्षकों की प्राथमिकताओं मे एक अच्छा जिम्मेदार नागरिक और बेहतर शैक्षिक माहौल देना था। कुछ अपवादों को छोड़कर तमाम स्कूल-कालेजों के शिक्षक प्राइवेट ट्यूशन नहीं करते थे। ज्यादातर समर्पण की भावना रखते थे। क्योंकि उन्हें मालूम था...